वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१८ मार्च २०१५,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
पिय का मारग कठिन है, जैसे खांडा सोय ।
नाचन निकसी बापुरी, घूंघट कैसा होय ।। (गुरु कबीर)
प्रसंग:
पर्दों के पीछे से सत्य न दिखेगा का क्या आशय है?
क्या सत्य को जाना जा सकता है?
जीवन कैसे सुलझाएं?
सत्य क्या है?